Chota Rajan news Hindi

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क्यों चर्चित

मुंबई अंडर वर्ल्ड डॉन छोटा राजन की कोरोना से मौत की खबर से सोशल मीडिया में बाढ़ आ गई थी। हालांकि, एम्स दिल्ली के अधिकारी ने इसे गलत बताते हुए दावा किया कि वह जीवित हैं।

राजन को कोविड -19 की जाँच में पॉजिटिव नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भर्ती कराया गया था।

व्यक्तिगत जीवन

छोटा राजन का जन्म महाराष्ट्र, मुंबई, चेंबूर के तिलकनगर इलाके में एक मराठी परिवार में हुआ था। इसका रियल नाम राजेंद्र सदाशिव निकल्जे था लेकिन लोग प्यार से उसे नाना कह कर पुकारते थे।

राजन के पत्नी का नाम निकिता बैद है। इसकी तीन बेटियाँ हैं; अंकिता निकल्जे, निकिता निकल्जे और ख़ुशी निकल्जे। राजन के छोटे भाई दीपक निकल्जे रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के सांसद रामदास अठावले से जुड़े हुए हैं।

राजन को मित्रों और सहयोगियों द्वारा 'नाना' के रूप में संबोधित किया जाता है। उनके अपराधिक समूह को नाना कंपनी के नाम से भी जाना जाता था।

अपराध की दुनिया में प्रवेश

छोटा राजन ने 10 वर्ष के उम्र से ही सिनेमा टिकट सेलर और टिकट ब्लैकर के रूप शुरुआत की। उसने अपने आपराधिक कैरियर की शुरुआत चेंबूर इलाके में छोटे-मोटे अपराधों से की।

अपराध करते-करते वह मुंबई के डॉन बड़ा राजन के साथ जुड़ गया। 1980 के दशक में बड़ा राजन ने उसे सहकार सिनेमा अशोक थिएटर में सिनेमा टिकटों की कालाबाजारी करने के धंधे में उतारा।

छोटा राजन ने अपने गुरु बडा राजन और हैदराबाद के यादगिरी के अधीन आपराधिक व्यापार के गुर सीखे। तरक्की करते हुए वह बड़ा राजन का दायाँ हाथ बन गया, इसलिए लोग उसे छोटा राजन कहने लगे।

जब बड़ा राजन मारा गया, तब छोटा राजन को बड़ा राजन की गद्दी मिली और वह छोटा राजन के नाम से मुंबई अंडरवर्ल्ड में मशहूर हो गया। कुछ समय के लिए, दाऊद इब्राहिम, छोटा राजन और अरुण गवली ने एक साथ काम किया।

तभी गवली के बड़े भाई पापा गवली की हत्या एक ड्रग सौदे के दौरान तकरार को लेकर हो गयी थी। राजन 1989 में दाऊद के भाई, नुरा की शादी में शामिल होने के लिए दुबई चला गया। दुबई जाने के बाद वह कभी भारत नहीं लौटा जबकि उसकी पत्नी के अलावा उसका परिवार अभी भी मुंबई में रह रहा है।

दाऊद से अलगाव / गैंगवार शुरू

1993 के मुंबई बम धमाकों के बाद दाऊद और राजन की दोस्ती टूट गयी। यहां तक कि ऐसी खबरें भी आईं कि उसने दाऊद के नेटवर्क के बारे में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) को जानकारी उपलब्ध कराया था।

1994 में, राजन ने दाऊद के पसंदीदा "नार्को-आतंकवादी" फिल्लू खान उर्फ बख्तियार अहमद खान को बैंकॉक के एक होटल के कमरे में फिल्लू खान के करीबी सहयोगी मंग्या द्वारा धोखे से बुलवाया शारीरिक यातना देते हुए धोखे से हत्या कर दिया।

फिल्लू और मंग्या दोनों 1993 के विस्फोटों में शामिल होने के आरोप थे क्योंकि पुलिस ने 15 मार्च 1993 को विस्फोटों में शामिल होने का आरोप लगाते हुए मामले दर्ज किए थे। अब तक राजन शूटरों ने विस्फोट में आरोपी 10 लोगों को मार गिराया है।

दाऊद-राजन की गैंगवार शुरू हो गयी थी। इसी क्रम में, सितंबर 2000 के अंत, छोटा शकील ने उसके बैंकॉक के होटल रूम में राजन पर हमला किया जिसमे वह बच निकला लेकिन बुरी तरह घायल हो गया था।

हत्या का प्रयास

सितंबर 2000 में, दाऊद ने राजन को बैंकॉक में खोज निकाला। दाऊड के मुख्य सहयोगी शरद, बैंकॉक में राजन का पता लगाने के लिए मुंबई के होटल व्यवसायी विनोद और ए. मिश्रा के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल करते हुए उसकी मदद ली थी।

 फिर दाऊद के सहयोगी छोटा शकील राजन को मारने के लिए बैंकाक पहुंचा। पिज्जा डिलीवरी मैन के रूप में होटल पहुँच कर उसके विश्वसनीय हिटमैन रोहित वर्मा और उसकी पत्नी को गोली मार दी।

हालांकि, राजन को मारने का उसके उद्देश्य असफल रह गया। राजन होटल की छत से कूदते हुए बचकर भाग निकला। फिर वह घायल अवस्था में एक अस्पताल में भर्ती हुआ और सुरक्षा अधिकारीयों द्वारा पकडे जाने से बचने में सफल रहा।

दाऊद इब्राहिम ने खुद Rediff.com को टेलीफोन पर हमले की पुष्टि की, उस समय रीडिफ़.कॉम ख़बरों के मुख्य श्रोत था। उसके के अनुसार हमले से बचने के लिए राजन ने पहली मंजिल के कमरे की खिड़की से छलांग लगाकर भागने की कोशिश की।

हालांकि, छलांग लगाने के दौरान गिरने के क्रम में अपनी पीठ तुडवा बैठा और इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया। दाऊद के लिए हत्या का यह प्रयास महंगा साबित हुआ।

राजन के सहयोगियों 2001 में मुंबई में होटल बिजनेसमैन विनोद और एक अन्य दाऊद सहयोगी सुनील सोन्स की हत्या कर दी। विनोद और सुनील दोनों ने ही राजन के ठिकाने के बारे में दाऊद के सहयोगियों को जानकारी दी थी।

विनोद और सुनील सोंस की हत्याओं ने डी-कंपनी को बहुत ज्यादा नुकसान नहीं पहुँचाया। लेकिन 19 जनवरी 2003 को राजन के सहयोगियों ने शरद जो कि दाउद का चीफ फाइनेंस मैनेजर और मनी-लॉन्ड्रिंग एजेंट था की दुबई में इंडिया क्लब में गोली मार की गयी। यह हत्या दाऊद और राजन के बीच सत्ता के बदलाव की प्रतीक थी।

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, शरद की मौत डी-कंपनी के लिए एक गंभीर आर्थिक झटका थी क्योंकि शरद द्वारा हैंडल किये जा रहे अपराध सिंडिकेट के संचालन की वित्तीय और मौद्रिक जानकारी दाऊद द्वारा पूरी तरह से कभी भी पता नहीं लगाया जा सका।

फिल्मों में उसके चरित्र की झलक In Cinema

2002 की बॉलीवुड फिल्म, 'कंपनी' में एक चरित्र चंदू था, जो अभिनेता विवेक ओबेरॉय द्वारा निभाया गया था, जिसमें वास्तविक जीवन दाऊद इब्राहिम गिरोह के साथ छोटा राजन के संबंधो की झलक मिलती थी। 

इसके अलावा, 1999 की फिल्म 'वास्तव: द रियलिटी' जिसे संजय दत्त अभिनीत किया गया था, कहा जाता है कि राजन के जीवन पर आधारित थी।

गिरफ्तारी

ऑस्ट्रेलियाई पुलिस द्वारा प्राप्त एक गुप्त सूचना पर कार्रवाई करते हुए इंडोनेशियाई सुरक्षा अधिकारियों ने छोटा राजन पर नज़र रखना शुरू कर दिया। 

आखिरकार 25 अक्टूबर 2015 को रविवार को छोटा राजन को सिडनी से बाली पहुंचते ही हिरासत में ले लिया।

सीबीआई के तत्कालीन निदेशक, अनिल सिन्हा ने गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा, "बाली पुलिस ने इंटरपोल के माध्यम से सीबीआई के अनुरोध पर कल छोटा राजन को गिरफ्तार कर लिया। वहां से भारतीय अधिकारियों ने उसे वापस भारत लाने के लिए इंटरपोल से संपर्क किया।

ऑस्ट्रेलियाई पुलिस के अनुसार कहा गया था कि राजन ने मोहन कुमार के नाम से बने भारतीय पासपोर्ट के साथ बाली की यात्रा की थी।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार, बाली हवाई अड्डे पर अंडरवर्ल्ड डॉन एक कतार में खड़ा था। जब आव्रजन अधिकारियों ने उसे अलग हटने और अपना नाम प्रकट करने के लिए कहा। हड़बड़ी में गैंगस्टर ने पहले अपना मूल नाम राजेंद्र सदाशिव निकल्जे बताया,  और फिर तुरंत खुद सही करते हुए उसके पासपोर्ट उल्लेखित नाम मोहन कुमार बताया।

इससे अधिकारियों के कान खड़े हो गए और उन्होंने उससे पूछताछ शुरू कर दी। अधिकारियों ने फिंगरप्रिंट परीक्षणों की सहायता से पहचान प्रक्रिया शुरू की। रेड कॉर्नर नोटिस में दिए गए 18 फिंगरप्रिंट नमूनों में से 11 नमूने मेल खा रहे थे, जिससे पुष्टि हो गई कि वह राजेंद्र सदाशिव निकोलेज उर्फ़ छोटा राजन था। 

राजन को 6 नवंबर 2015 को भारत में प्रत्यर्पित किया गया था और वर्तमान में तिहाड़ जेल में बंद है। उस पर हत्या, तस्करी और वसूली के लगभग 70 मामलों में मुकदमे चल रहे हैं।

दोषसिद्धि

25 अप्रैल 2017 को नई दिल्ली की एक विशेष सीबीआई अदालत ने राजन और तीन अन्य आरोपियों को फर्जी पासपोर्ट मामले में सात साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई।

महाराष्ट्र मकोका अदालत ने छोटा राजन को 2 मई 2018 को पत्रकार ज्योतिर्मय डे की हत्या का दोषी पाया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

मुंबई में 1993 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट में भी छोटा राजन आरोपी था और इस पर सुनवाई चल रही है।

कॉमन नाम

छोटा राजन

मूल नाम

Rajendra Sadashiv Nikalje

जन्म  

13 January 1959 (age 62), Chembur, Mumbai, India

राष्ट्रीयता (Nationality)

Indian

सक्रिय काल (Years active)

1982-2015

संगठन (Organization)

NANA COMPANY

कुख्यात (Known for)

Smuggling, extortion, 70 Murder cases

वारिस (Predecessor)

Bada Rajan

विरोधी (Opponent(s))

Dawood Ibrahim

अपराधिक स्थिति (Criminal status)

Life imprisonment

पत्नी (Spouse(s))

Sujata Nikalje[1]

बच्चे (Children)

3 बेटियाँ

आरोप सिद्ध (Conviction(s)

Murder of Jyotirmoy Dey (2011)

वर्त्तमान स्थिति (Capture status)

गिरफ्तार (Arrested)

सहयोगी (Partner(s)

Dawood Ibrahim, Bada Rajan

Imprisoned at

Tihar Jail, New Delhi